Thursday, June 6, 2019

चाय सिर्फ़ चाय ही नहीं होती ..



*चाय सिर्फ़ चाय ही नहीं होती...*

जब कोई पूछता है "चाय पियेंगे"
तो बस नहीं पूछता वो तुमसे
दूध, चीनी और चायपत्ती
को उबालकर बनी हुई 
एक कप  चाय के लिए।

वो पूछता हैं...
क्या आप बांटना चाहेंगे
कुछ चीनी सी मीठी यादें
कुछ चायपत्ती सी कड़वी
दुःख भरी बातें..!

वो पूछता है..
क्या आप चाहेंगे
बाँटना मुझसे अपने कुछ
अनुभव, मुझसे कुछ आशाएं
कुछ नयी उम्मीदें..?

उस एक प्याली चाय के
साथ वो बाँटना चाहता है
अपनी जिंदगी के वो पल
तुमसे जो अनकही है अबतक
दास्ताँ जो अनसुनी है अबतक

वो कहना चाहता है..
तुमसे तमाम किस्से
जो सुना नहीं पाया 
अपनों को कभी..

एक प्याली चाय
के साथ को अपने उन टूटे
और खत्म हुए ख्वाबों को
एक बार और 
जी लेना चाहता है।

वो उस गर्म चाय की प्याली 
के साथ उठते हुए धुओँ के साथ
कुछ पल को अपनी
सारी फ़िक्र उड़ा देना चाहता है

इस दो कप चाय के साथ 
शायद इतनी बातें
दो अजनबी कर लेते हैं
जितनी तो
अपनों के बीच भी नहीं हो पाती।

तो बस जब पूछे कोई
अगली बार तुमसे
 *"चाय पियेंगे..?"* 

तो हाँ कहकर 
बाँट लेना उसके साथ
अपनी चीनी सी मीठी यादें
और चायपत्ती सी कड़वी 
दुखभरी  बातें..!!

 *चाय सिर्फ़ चाय ही नहीं होती...!*
संजीव रंजन
धनबाद

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