Tuesday, May 1, 2018

भारत का नया गीत

भारत का नया गीत

आओ बच्चों तुम्हे दिखायें,
 शैतानी शैतान की... ।
नेताओं से बहुत दुखी है,
 जनता हिन्दुस्तान की...।।

बड़े-बड़े नेता शामिल हैं,
 घोटालों की थाली में ।
सूटकेश भर के चलते हैं,
 अपने यहाँ दलाली में ।।

देश-धर्म की नहीं है चिंता,
 चिन्ता निज सन्तान की ।
नेताओं से बहुत दुखी है,
 जनता हिन्दुस्तान की...।।

चोर-लुटेरे भी अब देखो,
 सांसद और विधायक हैं।
सुरा-सुन्दरी के प्रेमी ये,
 सचमुच के खलनायक हैं ।।

भिखमंगों में गिनती कर दी,
 भारत देश महान की ।
नेताओं से बहुत दुखी है,
 जनता हिन्दुस्तान की...।।

जनता के आवंटित धन को,
 आधा मंत्री खाते हैं ।
बाकी में अफसर ठेकेदार,
 मिलकर मौज उड़ाते हैं ।।

लूट खसोट मचा रखी है,
 सरकारी अनुदान की ।
नेताओं से बहुत दुखी है,
 जनता हिन्दुस्तान की...।।

थर्ड क्लास अफसर बन जाता,
फर्स्ट क्लास चपरासी है,
होशियार बच्चों के मन में,
 छायी आज उदासी है।।

गंवार सारे मंत्री बन गये,
 मेधावी आज खलासी है।
आओ बच्चों तुम्हें दिखायें,
 शैतानी शैतान की...।।

नेताओं से बहुत दुखी है,
 जनता हिन्दुस्तान की.

संजीव रंजन
धनबाद, झारखंड

Tuesday, April 17, 2018

उम्मीद का दिया

एक घर मे पांच दिए जल रहे थे  एक दिन पहले दिए ने कहा  इतना जलकर भी मेरी रोशनी की लोगो को कोई कदर नही है तो बेहतर यही होगा कि मैं बुझ जाऊं  और वह दीया खुद को व्यर्थ समझ कर बुझ गया । जानते है वह दिया कौन था  वह दीया था उत्साह का प्रतीक ।

यह देख दूसरा दीया जो शांति का प्रतीक था  कहने लगा  मुझे भी बुझ जाना चाहिए निरंतर शांति की रोशनी देने के बावजूद भी लोग हिंसा कर रहे है और शांति का दीया बुझ गया ।

उत्साह और शांति के दीये बुझने के बाद  जो तीसरा दीया हिम्मत का था  वह भी अपनी हिम्मत खो बैठा और बुझ गया ।
उत्साह  शांति और अब हिम्मत के न रहने पर चौथे दीए ने बुझना ही उचित समझा । चौथा दीया समृद्धि का प्रतीक था । सभी दीए बुझने के बाद केवल पांचवां दीया अकेला ही जल रहा था ।

हालांकि पांचवां दीया सबसे छोटा था मगर फिर भी वह निरंतर जल रहा था ।
तब उस घर मे एक लड़के ने प्रवेश किया । उसने देखा कि उस घर मे सिर्फ एक ही दीया जल रहा है  वह खुशी से झूम उठा  चार दीए बुझने की वजह से वह दुखी नही हुआ बल्कि खुश हुआ  यह सोचकर कि कम से कम एक दीया तो जल रहा है ।
उसने तुरंत पांचवां दीया उठाया और बाकी के चार दीए फिर से जला दिए ।

जानते है वह पांचवां अनोखा दीया कौन सा था  वह था उम्मीद का दीया 
इसलिए अपने घर मे अपने मन मे हमेशा उम्मीद का दीया जलाए रखिये । चाहे सब दीए बुझ जाए लेकिन उम्मीद का दीया नही बुझना चाहिए । ये एक ही दीया काफी है बाकी सब दीयों को जलाने के लिए

क्योंकि हमारे आज में जो उम्मीद जगती है वही उम्मीद हमारे भविष्य का निर्माण करती है।

संजीव रंजन (राजा)
धनबाद , झारखंड