Saturday, February 1, 2020

एक चिन्तन

           एक चिन्तन
*मैंने एक फूल से कहा*:...
कल तुम मुरझा जाओगे:..!
*फिर क्यों मुस्कुराते हो* ..?
व्यर्थ में यह ताजगी ...
*किस लिए लुटाते हो* ..??

फूल चुप रहा...!!

*इतने में एक तितली आई* ..!
पल भर आनंद लिया ..!
*उड गई* ..!!

एक भौंरा आया..!
*गान सुनाया* ..!
सुगंध बटोरी..!
*और आगे बढ गया* ..!!

एक मधुमक्खी आई..!
*पल भर भिन भिनाई* ..!
पराग समेटा ..! और ...
*झूमती गाती चली गई* ..!!

खेलते हुए एक बालक ने ...
*स्पर्श सुख लिया* ..!
रूप-लावण्य निहारा..!
*मुस्कुराया*..! और...
खेलने लग गया..!!

*तब फूल बोला*:-----
मित्र: !
*क्षण भर को ही सही*:...
मेरे जीवन ने कितनों...
*को सुख दिया* ..!
क्या तुमने भी कभी..?
*ऐसा किया* ..???

कल की चिन्ता में ...
*आज के आनंद में* ...
विराम क्यो करूँ..?
*माटी ने जो* ...
रूप; रंग; रस; गंध दिए ..!
*उसे बदनाम क्यो करूँ*..?

मैं हँसता हूँ..! क्योंकि...
*हँसना मुझे आता हैं* ..!
मैं खिलता हूँ..! क्योंकि ...
*खिलना मुझे सुहाता हैं* ..!

मैं मुरझा गया तो क्या ..?
*कल फिर एक* ...
नया फूल खिलेगा ..!
*न कभी मुस्कान* रुकी हैं .. _नही सुगंध_ ...!!

*जीवन तो एक* सिलसिला है ..!
*इसी तरह चलेगा* :!!

जो आपको मिला है ...
*उस में खुश रहिये* ..!
और प्रभु का ...
*शुक्रिया कीजिए* ..!
क्योंकि आप जो ...
*जीवन जी रहे हैं* ...
वो जीवन कई लोगों ने ...
*देखा तक नहीं है*..!

खुश रहिये ..!
*मुस्कुराते रहिये* ..!
और अपनों को भी ...
*खुश रखिए*

संजीव रंजन